Natural Ventilation in Buildings (भवनों में प्राकृतिक वायु-संचालन )
प्राकृतिक वायु- संचालन अर्थात भवनों में ताज़ी हवा का संचालन करना जिससे उनमें रहने वालो को स्वच्छ वायु के साथ गर्म तापमान से आराम मिल सके। अपर्याप्त वायु प्रवाह के कारण भवनों में अस्वस्थ वातावरण बन जाता है। हम अपने चारो ओर इस प्रकार की इमारतों को देख सकते हैं। ऐसा ज़्यादातर अत्यदिक सघन और ऊँची इमारतों के निर्माण एवं भवनों में उपयुक्त गवाक्षीकरण (Fenestration) का किर्यान्वयन न होना हैं। प्राकृतिक वायु-संचालन भवनों में स्वास्थ्यकारी आतंरिक वातावरण को बढ़ाता है।
प्राकृतिक वायु-संचालन हेतु दिशा-निर्देश (Directions for Natural Ventilation)
अधिकतम वायु-प्रवाह को प्राप्त करने के लिए "भारत की राष्ट्रीय भवन निर्माण संहिता २००५, भाग ८, ५.४. ३ और ५. ७. १ (National Building Code 2005, Part 8, 5.4.3 and 5.7.1) का अनुपालन करना चाहिए। जिसके कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार है:
- अधिक वायु प्रवाह के लिए ईमारत का प्रचलित वायु (Prevailing wind) की दिशा में लंबरूप में अभिमुख होना (Perpendicular orientation) आवश्यक नहीं है। भवन को अपनी सुविधानुसार वायु की दिशा में ० डिग्री से ३० डिग्री घुमा सकते है। यदि प्रचिलित वायु की दिशा पूर्व या पश्चिम है तो यह घुमाव ४५ डिग्री तक जा सकता है।
- वायु के प्रवेश हेतु लगाए गए गवाक्ष/ खिड़की (Inlet Opening) को सदैव वायु के आने की दिशा में लगाना चाहिए एवं वायु को बाहर निकालने के लिए भी विपरीत दिशा में भी गवाक्ष/ खिड़की (Outlet Opening) होनी चाहिए। यह ध्यान रखने योग्य है की दोनों खिडकियो को कितनी ऊंचाई पर लगाया गया है। यदि दोनों खिडकियो को अधिक ऊंचाई पर लगाए तो वायु कमरे में ऊपर से ही निकल जाएगी।
- अधिकतम वायु प्रवाह प्राप्त करने में, खिड़की की दहलीज (Window Sill) की ऊंचाई बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। यह कमरे में हो रहे कार्य पर निर्भर करती है। खिड़की की दहलीज से सम्बंधित कुछ संस्तुतिया (Recommendations) इस प्रकार है :
- कुर्सी पैर बैठने के लिए (अध्यन कक्ष , कार्यालय, आदि ) - ०. ७५ मीटर
- शयन हेतु (शयन कक्ष, छात्रावास, आदि ) - ०. ६० मीटर
- फर्श पैर बैठने के लिए (व्यायाम कक्ष, आदि ) - ०. ४० मीटर
- सामान्य आकार के कमरे में सामान आकार की खिड़कियों को विपरीत दीवारों पर लगाने से औसत वायु प्रवाह में तेज़ी से वृद्धि होने लगती है और यह तब तक बढ़ता है जब तक खिड़की की चौड़ाई को दीवार की चौड़ाई के दो-तिहाई तक बढ़ाया जाता है। इसके बाद यह बहुत कम हो जाती है। यदि खिड़की की ऊंचाई १. १ मीटर रखी जाये तो कार्यक्षेत्र में अधिक वायु प्रवाह प्राप्त किया जा सकता है। किन्तु इससे अधिक ऊंचाई लेने पर वायु प्रवाह में कुछ खास बढ़ोतरी नहीं होती।
- अत्यधिक वायु प्रवाह के लिए सामान आकर की खिडकियो को सामान ऊंचाई पर एकदम विपरीत दिशा में लगाना चाहिए।
- ऐसे गवाक्ष/ खिड़की, जिनका कुल आकर फर्श का २०% से ३०% है उनमे औसत वायु की गति बाहर बहने वाली वायु की गति की ३०% तक होती है। खिड़की के आकर में बदलाव करके कुछ वायु गति बड़ाई जा सकती है। असल में अत्यधिक अनुकूल परिस्थितियों में भी यह बाहर बहने वाली वायु की गति के ४०% से अधिक नहीं हो सकती।
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